जो बीत गई सो बात गई - harivansh rai bachchan poems in hindi
'जो बीत गई सो बात गई' यह कविता प्रख्यात कवि और लेखक 'हरिवंशराय बच्चन' harivansh rai bachchan ने लिखी है, जिनका नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। उनकी लोकप्रिय कृति 'मधुशाला' की पंक्तियाँ हर साहित्य प्रेमी की जुबान पर होती हैं। सूफी दर्शन से ओतप्रोत 'मधुशाला' एक ऐसी अनुपम कृति है जिसकी प्रसिद्धि के आयाम को २०वीं सदी के बाद की कोई दूसरी रचना अब तक नहीं प्राप्त कर पायी है।
जो बीत गई सो बात गई !
प्रस्तुत है उनकी सुंदर कविता 'जो बीत गई सो बात गई। यह कविता हमें पिछली असफलताओं पर शोक मनाने के बजाय जीवन में आगे बढ़ने और एक नयी शुरुआत करने की प्रेरणा देती है।
जो छूट गए फिर कहाँ मिले ! |
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ
जो मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई !
जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;
मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है !
जो बीत गई सो बात गई !
मृदु मिट्टी के हैं बने हुए,
मधुघट फूटा ही करते हैं,
लघु जीवन लेकर आए हैं,
प्याले टूटा ही करते हैं,
फिर भी मदिरालय के अंदर
मधु के घट हैं, मधुप्याले हैं,
जो मादकता के मारे हैं,
वे मधु लूटा ही करते हैं;
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट-प्यालों पर,
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है, चिल्लाता है !
जो बीत गई सो बात गई !
'हरिवंश राय बच्चन'
यह भी पढ़ें :
'हरिवंश राय बच्चन'
यह भी पढ़ें :
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
आपके बहुमूल्य सुझाव की प्रतीक्षा में...